भा. विराटपर्व, अध्याय ३० से ७२ तकगौतम (क) प्यासी भूमि एवं जनमेदिनी की प्यास शांत करने के लिए मेघरूपी कुएं कोआकाश की और उत्प्रेरित करने के लिए गौतम ऋषि ने यक्ष के द्वारा स्तुतिगान किया.
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सूर्योदय होते ही तीन हजार केसरिया वस्त्रधारी राजपूतों ने कमालदीन की पच्चीस हजार सेना पर आक्रमण कर दिया | घड़ी भर घोर घमासान युद्ध हुआ | जैसलमेर दुर्ग की भूमि और दीवारें रक्त से सन गई | जल की प्यासी भूमि ने रक्तपान करके अपनी तृष्णा को शांत किया | अब शाका भी पूरा हुआ |